नवीनतमसाहित्य

                कसमें  : किताबें  

सफदर हाशमी के शब्द थे-” किताबें करती है बातें कुछ हमसे कहती है किताबें ! एक सिनेमा का गीत है -” स्कूल में क्या पढ़ोगे हो राम ? दिल की किताब पढ़ लो, एक और गीत-” ABCD  छोड़ो, नैना से नैना जोड़ो!   अदालतों में गीता पर हाथ रखवा कर झूठ ना बोलने की कसम खिलवाई जाती है, हिंदू भाई लोग तुलसी का मनका और रामायण हाथ में लेकर कसमें खाते हैं!  इश्क़ की पाठशाला का यह  कैसा पाठ है ? जिसे सबक याद हुआ उसे छुट्टी नहीं मिली! बहरहालमिर्ज़ा गा़लिब ने एक शेर में कहा है-” इश्क को दिल में जगह दे गा़लिब, ईल्म से शायरी नहीं आती !”  गुलज़ार  सर की एक फिल्म का नाम भी है- किताब । ईसाई धर्म में बाइबल पर हाथ रखवा कर शपथ दिलवाई जाती है। 

सिक्ख धर्म में उनके दसवें गुरु गोविंद सिंह के बाद कोई धर्म गुरु नहीं बना और उनके ही कहे मुताबिक -“मेरे बाद सिर्फ दसों गुरु और सभी धर्म के अच्छे उपदेशों, आदर्शों को ही किताब में जगह पाने वाली ‘ गुरु ग्रंथ साहिब ‘की पूजा गुरुद्वारों मे की जाती है। इस्लाम में कुरान पर हाथ रखकर कसमें खाई जाती है । हिन्दी साहित्य के इन्दु माने जाने वाले भारतेंदु हरिश्चंद्र के मशहूर एकांकी ‘अंधेर नगरी’ का एक पात्र है (ब्राह्मण) -जातवाला ,संवादहै-जात ले जात, टके सेर जात। एक टका दो हम अभी अपनी जात बेचते हैं। जात ले जात!  टके के वास्ते ब्राह्मण से  धोबी हो जायं और धोबी को ब्राह्मण कर दें। टके के वास्ते  झूठ को सच करैं। टके के वास्ते झूठी गवाही दें।टके के वास्ते धर्म और प्रतिष्ठा दोनों बेचैन, टके के वास्ते झूठी गवाही दें।  एक टका दो ,हम अभी अपनी जात बेचते हैं । टके के वास्ते हिंदू से मुसलमान, टके के वास्ते हिन्दू से क्रिस्तान। टके के वास्ते पाप को पुण्य मानैं, टके के वास्ते नीच को के भी पितामह बनावैं।वेद,धर्म, कुल, मर्यादा सच्चाई, बड़ाई सब टके सेर।  लूटा दिया अनमोल माल, ले टके सेर। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *